कश्मकश का तूफ़ान उठा है, जाये इधर के जाये उधर,
सोचते है करे तो करे क्या, कोई भी डगर ना आये नजर...
जिंदगी में एक मोड़ आया है,
लबो की हंसी ये दिल ना जाने कहाँ छोड़ आया है,
ढूंढा बहोत पर, ना है किसी को पता ना है किसी को ख़बर,
सोचते है करे तो करे क्या, कोई भी डगर ना आये नजर...
देख रहे है बीच राह पर इस तलाश में,
जाना है जिस मंज़िल पे, शायद वो मिल जाये इस आश में,
चलते ही जा रहे है, रुके बिना ,कितने थके हुए है मगर,
सोचते है करे तो करे क्या, कोई भी डगर ना आये नजर...