साथ रेहकर भी तुम्हें समज ना पाये,
पास रेहकर भी तुम्हें पढ़ ना पाये,
अब जब तुम चले गये हो, तो सब खाली सा लगता है,
जिंदगी की हर जग़ह पे कुछ अधूरा सा लगता है,
काश वो पल हम वापस ला पाते, बीते हुए उन लम्हों को सजा पाते,
तुम क्या हो मेरे लिये वो बता पाते, फिर से तुम्हें जी भर के गले लगा पाते ...
वक़्त के दरिया में बेहते गये पर वक़्त ना निकाल पाये,
तेरा हाथ हाथों में लेके दो बात ना कर पाये,
उल्ज़े रहे उल्ज़नो में ख़ामख़ा, पर तुम्हें तुटके प्यार ना कर पाये,
तेरी जरूरतों को अपना मानके कभी पुरा ना कर पाये,
तुम्हारी रूह को हम मेहसूस कर पाते, शायद तुमसे तब खुलके बात कर पाते,
काश वो पल हम वापस ला पाते, बीते हुए उन लम्हों को सजा पाते,
तुम क्या हो मेरे लिये वो बता पाते, फिर से तुम्हें जी भर के गले लगा पाते ...
यूँही गवाये हमने जिंदगी के वो बेशक़ीमती साल,
मालुम हो जाता उसी समय तो ना होता ऐसा हाल,
पता है की वो पल अब वापस नहीं आएगा,
पर आज इस दिल को कौन कैसे समजायेगा,
काश तुम्हारे सपनों को सँवार पाते,एक दूसरे के लिये खुद को बदल पाते,
काश वो पल हम वापस ला पाते, बीते हुए उन लम्हों को सजा पाते,
तुम क्या हो मेरे लिये वो बता पाते, फिर से तुम्हें जी भर के गले लगा पाते ...
अब दूरियाँ ही दूरियाँ है, नज़दीकिआ नहीं रहीं,
तेरी धड़कनों को सुन ले मेरा दिल ऐसी खामोशियाँ नहीं रही,
तेरी साँसों की खुशबु ले सकते, तेरे होठों की लाली चुरा सकते,
ऐसा होता बसमे की तुम्हें छोटी-छोटी चीज़ भी सुना सकते,
फिरसे एक नये रिश्ते को शुरू कर पाते, तुझमें ही खुदको पुरा फ़नाह कर पाते,
काश वो पल हम वापस ला पाते, बीते हुए उन लम्हों को सजा पाते,
तुम क्या हो मेरे लिये वो बता पाते, फिर से तुम्हें जी भर के गले लगा पाते ...