बस यूँ ही मिल रहे थे, बस बातें कर रहे थे,
मिलते मिलते, बातों-बातों में पता ना चला,
तु कब मेरी मुहब्बत्त बन गई ,
तु कब मेरी जरुरत बन गई ...
पेहले तो नज़रे बिछाये तेरा इंतज़ार ना करते थे,
तेरी पसंद - नापसंद का इतना खयाल ना करते थे,
वो ही मौसम है, वो ही आलम है,
पर ना जाने क्यूँ बदले से हम है, ये क्या मुझे हो गया,
तु कब मेरी मुहब्बत्त बन गई ,
तु कब मेरी जरुरत बन गई ...
तुने हाथों से छुआ है, हमको नशा सा हुआ है,
बेहके बेहके से हम है, अंदाज़ अपना नया है,
पहली असर है, पेहला है प्यार,
होने लगे है हम बेक़रार, मैं तो कहा खो गया,
तु कब मेरी मुहब्बत्त बन गई ,
तु कब मेरी जरुरत बन गई ...