कोई नई नवेली दुल्हन का जैसे हो श्रृंगार,
पतज़ड के मौसम में जैसे बसंत की बहार,
सुबह में जैसे लम्बे भीगे बालो से उड़ती बुंदो की फुहार,
ज़िंदगी हो जाये डोर रेशम की,जब हो जाता है प्यार...
खिलती हुई मासूम कली की जैसे इख्लाती डाल,
बरखा में छाये हुए इन्द्रधनुष के रंगो की धार,
जैसे सूरज की सुनेहरी धुप हो या शाम की लाली का दीदार,
ज़िंदगी हो जाये डोर रेशम की,जब हो जाता है प्यार...
प्यारे से दिल में धड़कनो की मौज से उछलता हो मजधार,
जैसे किसी अजनबी के लिए रेहता हो कही कोई बेक़रार,
हर रुत बन जाये जैसे बारिश में छेड़ा हुआ राग मल्हार,
ज़िंदगी हो जाये डोर रेशम की,जब हो जाता है प्यार...
पूनम की रात में जैसे चमकते हुए चाँद का निखार,
किसी के इंतज़ार में कही किसी के दिल में बजती हो सितार,
किसी की घनी झुल्फो को सवारते रहे जैसे बार-बार,
ज़िंदगी हो जाये डोर रेशम की,जब हो जाता है प्यार...
किसी अनजाने पे हो जाये खुद से भी ज्यादा एतबार,
देख के किसी को थिरकने लगे पायल की झंकार,
किसी के लिए बजना चाहे किसी के कंगन की खनकार,
ज़िंदगी हो जाये डोर रेशम की,जब हो जाता है प्यार...
संजोने लगे मन किसी के लिए खूबसूरत ख्वाब हज़ार,
किसी की क़ातिल नजरो के वार से हो जाए कोई शिकार,
कभी जागे तो कभी सोये, क्या करे जब खुद पे न रहे इख्तियार,
ज़िंदगी हो जाये डोर रेशम की,जब हो जाता है प्यार...