Thursday, March 17, 2022

मेरे लिखे हुए कागज़ को...


मेरे लिखे हुए कागज़ को तुने लबों से लगा दिया,

उसपे बिखरे हुए लब्ज़ को तुने शायरी बना दिया,

यूँही निकले थे आसमान में तारे कितने ,

तेरे चेहरे ने रात को चाँदनी बना दिया ...


तु बोले तो दिल ऐसा करे की बस सुनते ही जाये,

तेरी जुबां जैसे हमारे दिल पे ग़ज़ल लिखती सी जाये,

तेरी आँखों में देखे तो बस देखते ही जाये,

जैसे कोई गेहराई में अंदर ही अंदर उतरते ही जाये,

तेरी झुल्फों में छुपे है बादल कितने,

आज़ाद करके उनको तुने रुत को भीगी बना दिया,

यूँही निकले थे आसमान में तारे कितने ,

तेरे चेहरे ने रात को चाँदनी बना दिया ...


देखी नहीं मैंने अप्सरा या परी कभी,

होगी वो शायद हूबहू पर ऐसी ही,

साड़ी पेहनके जब तुम आती हो,

लगती हो जैसे कोई क़यामत जैसी ही,

जागे है दिल में अरमान कितने,

तेरी खुशबु ने साँसों को संदली बना दिया,

यूँही निकले थे आसमान में तारे कितने ,

तेरे चेहरे ने रात को चाँदनी बना दिया ...


लगती है पारिजात की जैसे तु मूरत,

एक और रब तो एक और तेरी है सूरत,

तुम क्या हो ये तुम मेरी नज़र से देखो,

मैंने देखी नहीं कहीं तेरे जैसी खूबसूरत,

मेरी आँखों में तुने ख़्वाब जगाये कितने,

मेरी जिंदगी को मखमली बना दिया,

यूँही निकले थे आसमान में तारे कितने ,

तेरे चेहरे ने रात को चाँदनी बना दिया ...

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