Thursday, March 10, 2022

तुझको मेहसूस करता हूँ ...




हवाएँ जो तुझे छुके आये तो तेरी खुशबू मेहसूस करता हूँ,

घटायें जो तेरी झुल्फों की छाये तो सावन मेहसूस करता हूँ,

तु ही तु है मुझमें हर जगह, मैं तो खुदसे भी ज़्यादा अब तुझको मेहसूस करता हूँ ...


मेरी  शायरी में तु लब्ज़ बनके बिखरती है,

मेरे साथ तु सदा अक्स बनके चलती है,

हर कहानी मेरी अधूरी तेरे बिना,

मेरे दिल के आसमाँ में तु चाँद बनके चमकती है,

दिल जो कभी धड़क जाये तो तेरी आहट मेहसूस करता हूँ,

साँसे जो कभी मेंहक जाये तो तेरी यादें मेहसूस करता हूँ,

तु ही तु है मुझमें हर जगह, मैं तो खुदसे भी ज़्यादा अब तुझको मेहसूस करता हूँ ...


अजब किस्म की कोई क़शिश सी होती है,

साहिल पे बैठके भी जैसे दरिया में भिगोती है,

जबसे तुझे मिले है क्या बतायें,

आँखे मेरी तो नये नये ख़्वाब संजोती है,

हर कहीं मन कभी भी जायें बस तेरी मौजुदगी मेहसूस करता हूँ,

मुझमें तु ही है जैसे समाये, तुझे मैं अपनी जिंदगी मेहसूस करता हूँ,

तु ही तु है मुझमें हर जगह, मैं तो खुदसे भी ज़्यादा अब तुझको मेहसूस करता हूँ ...


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