दिल की उमंगो से, ख्वाहिशों के रंगो से, रंग दु मैं आसमाँ,
चाँद सितारों में, बाग़ बहारों में, तु ही तु है देखु जहाँ,
पिगल रही है रात, क्या अलग है बात,
ऐसा नहीं के शायद मुझे प्यार हो गया,
पेहली पेहली बार मेरा ये दिल खो गया ...
पतंग बनके उड़ जाये मेरा मन, बनके तु आये जैसे कोई डोर,
सुरजमुखी सा झुक जाऊ मैं, सुरज बनके तु जाये जिस ओर,
पागल दीवाना हो जाये, बावला सा खो जाये,
तु हसे तो दिल में कितने जल-तरंग से बज जाये,
एक वो तेरी मुलाक़ात, क्या कर गई मेरे हालात,
ऐसा नहीं के शायद मुझे प्यार हो गया,
पेहली पेहली बार मेरा ये दिल खो गया ...
सुबहा की किरणों में देखु तुझे मैं, शाम की लाली में ढूँढू तुझे मैं,
हर एक नज़ारे का जैसे नज़रिया बदल गया, मेरी धड़कनो के साज़ में तेरा साज़ मिल गया,
आज-कल रात में सोने की आँखों ने आदत छोड़ दी,
दिन में तेरे ख़यालो में रेहने की सोहबत मोड़ ली,
तुझे कैसे बताऊ मेरे जज़बात,रब से बस यही है दरखाश्त,
ऐसा नहीं के शायद मुझे प्यार हो गया,
पेहली पेहली बार मेरा ये दिल खो गया ...
No comments:
Post a Comment