बस मदहोशी में ही हमारी मुलाक़ात हो गई है...
तुम्हारे हुश्न ने किया हमारे होश पे पड़दा,
हमे मजबूर कर गई ऐ ज़ालिम तेरी हर अदा,
आज अनजाने में जो ग़लती हमारे हाथ हो गई है,
बस मदहोशी में ही हमारी मुलाक़ात हो गई है...
हमारी साँसों में साँस गुल गई आज कुछ इस तरह,
सारी नस-नस में बिजली चल गई आज कुछ इस तरह,
भीग गये हम जो तेरी झुल्फों से बरसात हो गई है,
बस मदहोशी में ही हमारी मुलाक़ात हो गई है...
कैसा ये देखो पागल शमा हो गया है,
हम तुम में जैसे देखो ये भी खो गया है,
आज शबनम शोला के साथ हो गई है,
बस मदहोशी में ही हमारी मुलाक़ात हो गई है...
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