आज हमने जमीं पे चलता हुआ चाँद देखा है,
पिगलता हुआ सोना उसके तन बदन पे,
चमकता हुआ चांदी झुल्फो के बन में,
मासूम ताज़ा पंखुड़ियों से खिला हुआ गुलाब देखा है,
आज हमने जमीं पे चलता हुआ चाँद देखा है ...
उसके चेहरे पे एक अजीब सी नज़ाकत थी,
उसके होठों पे मंद-मंद मुस्कुराहट थी,
यकीन नहीं होता है अपनी नजरों पे अब भी हमें,
मानो जैसे हक़ीक़त में एक खूबसूरत सा ख्वाब देखा है,
आज हमने जमीं पे चलता हुआ चाँद देखा है ...
वो बार-बार आँखों पे आई लट्ट को सवार रही थी,
कभी कभी अपनी गुलाबी चुनर को संभाल रही थी,
जैसे रात के अँधेरे पे धीरे धोरे छाता हुआ गुलाबी सवेरा हो,
मानो जैसे किसी अप्सरा का हूबहू जवाब देखा है,
आज हमने जमीं पे चलता हुआ चाँद देखा है ...
वो बोल रही थी मानो जैसे दिल करे बस वो केहते ही जाये,
कोई शायर की हसीं ग़ज़ल की तरह बस उसे सुनते ही जाये,
सादगी और सुंदरता से सजी कोई बेशकीमती मूरत हो,
मानो जैसे हमने संगे मर-मर का बना हुआ ताज देखा है,
आज हमने जमीं पे चलता हुआ चाँद देखा है ...
किस्मत आज हमपे कुछ ज्यादा ही मेहरबान थी,
पल दो पल ही सही पर वो मेरे एकदम पास थी,
दिल चाहता था की लम्हा वही थम जाये,
मानो जैसे जिंदगी का सबसे सुनेहरा रेशमी साथ देखा है,
आज हमने जमीं पे चलता हुआ चाँद देखा है ...
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