बहोत कुछ तो नहीं है पर कुछ तो है जरूर,
मुझपे छा गया है क्युं तेरा ही सुरूर,
दिल जो हो गया है तेरी बातों से मजबूर,
मुझपे छा गया है क्युं तेरा ही सुरूर।
यादों के घनेरे बादल छाये है, मेरे मन में जो बरखा लाये है,
हम तो उसमे बस भीगे जाये है, मस्ती में उसकी हम डूबे जाये है,
तेरे इस नशे ने कर दिया है युं चुर,
मुझपे छा गया है क्युं तेरा ही सुरूर।
तेरी हर अदा जो सबसे है जुदा, हमको भा गई इस कदर,इस तरहा,
देखा फूल को, शबनम को देखा, तेरे जैसा दूजा और है कहाँ,
दिल तो खो जाये, इसमें दिलका क्या कुसूर,
मुझपे छा गया है क्युं तेरा ही सुरूर।
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