Sunday, April 10, 2016

कभी तुम भी हमे कोई वजह से पुकार लो...




कभी तुम भी हमे कोई वजह से पुकार लो,
इसी बहाने तुम्हारे लबो से हम अपना नाम तो सुन ले,
कभी तुम भी हमारी आँखों में झांक लो,
हमारी जिंदगी बसाने का हम भी कोई सपना तो बुन ले...

कभी तुम भी हमारे गुलिस्तां को तुम्हारी खुशबु से मेहका लो,
उस बाग़ से हम भी कोई मेहकता हुआ फूल तो चुन ले,
कभी तुम भी हमारे दिल पे अपना हाथ रख लो,
धड़कते हुए हमारे दिल से हम भी तो सुकून ले...

कभी तुम भी हमारी जमीं पे आसमां बनके छा जाओ,
तुम्हारी बरसती हुई घटा से हम खुद भी तो भीग ले,
कभी तुम भी हमारी नजदीक से गुजर लो,
साँसे हमारी हम भी तो तुम्हारी सांस से जुड़ ले...

कभी तुम भी हमे एक बार गले लगाके देख लो,
तुम्हारे सारे ग़म को हम भी तो खुशियों से भर दे,
कभी तुम भी हमे एक बार अपना बनाके देख लो,
तुम्हारी जिंदगी को हम भी तो प्यार के रंगो से रंग दे... 

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