Friday, April 22, 2016

लगती हो ऐसी प्यारी...





लगती हो ऐसी प्यारी जैसे नदिया का किनारा,
तुझमे है जवाँ जैसे ताज का मिनारा...

झिलमिलाती रहो तुम तारों की तरहा,
हसती रहो तुम फूलों की तरहा,
गाती रहो तुम कोयल की तरहा,
खिलती रहो तुम कलियों की तरहा,
कोई गेहनो से सजे,कोई करता है श्रृंगार,पर तुझको तो खुद ही रब ने है संवारा,
लगती हो ऐसी प्यारी जैसे नदिया का किनारा,
तुझमे है जवाँ जैसे ताज का मिनारा...

जो दिल से तुम मांगो,वो तुमको मिल जाये,
कोई ग़म की हवा तेरे पास भी ना आये,
तुने सपने जो सजाये वो सारे रंग लाये,
रब करे जिंदगी में तू सदा मुस्कुराये,
कोई ऐसा मिल जाये,तेरी जोड़ी बन जाये, ऐसे लगे जैसे कोई नदिया संग किनारा,
लगती हो ऐसी प्यारी जैसे नदिया का किनारा,
तुझमे है जवाँ जैसे ताज का मिनारा...


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