अगर आयने को कोई दे दे जुबाँ, केह दे वो अपने दिल की दास्ताँ,
तुम कितनी खुबसूरत हो, तुम कितनी खुबसूरत हो ...
तुम्हे राग कहे या कहे रागिनी,
तुम्हे चाँद कहे या कहे चांदनी,
मैंने तारों से पूछा,बहारों से पूछा,
खुशबु से मेहकते बागो से पूछा,
तेरे जैसा कोई भी हसीन नहीं दूजा,
अगर फूल को कोई दे दे जुबाँ, केह दे वो अपने दिल की दास्ताँ,
तुम कितनी खुबसूरत हो, तुम कितनी खुबसूरत हो ...
शाम ये कैसी सजी है गुलाबी,
पिगली हो जैसे तेरे होठों से लाली,
मैंने पूछा जमीं से, मैंने पूछा आसमाँ से,
मैंने पूछा परियों से ,पूछा अप्सरा से,
तेरे जैसा कोई भी हसीन नहीं दूजा,
अगर ताज को कोई दे दे जुबाँ, केह दे वो अपने दिल की दास्ताँ,
तुम कितनी खुबसूरत हो, तुम कितनी खुबसूरत हो ...
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