Saturday, May 28, 2016

कभी झील की खामोश आँखों में देखो...




कभी झील की खामोश आँखों में देखो, केहती है वो कितने ही राज़,
चुपके से बयाँ हो जाये दिल की बात, जरुरी नहीं है लिये आवाज़ ...

जुबाँ है जो धड़कन की  बस एक दिल ही समज पाये,
इशारों  की निशानियाँ है जो प्यार करनेवाला ही समज पाये,
छुपी नहीं रेह शकती छुपाये पायल,वो छनक के कर ही देती है आवाज़,
चुपके से बयाँ हो जाये दिल की बात, जरुरी नहीं है लिये आवाज़ ...

हाथों की चूड़ी खनके तो समजो,
झुक जाये नैन हया से तो समजो,
अफसाना है ये ऐसा की जिसमे,
आये अगर ना तो हाँ समजो,
करते रेहते है हम इन्कार जिनको, भा जाये दिल को उसके ही अंदाज़,
चुपके से बयाँ हो जाये दिल की बात, जरुरी नहीं है लिये आवाज़ ...

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