Tuesday, May 31, 2016

तुम्हे जितनी बार देखे...




तुम्हे जितनी बार देखे, तुम पेहले से ज्यादा ओर हँसी लगती हो,
तेरी हर अदा है पेहले से जुदा, तेरे हुस्न से खुद हैरान है खुदा,
तुम्हे जितनी बार देखे, तुम पेहले से ज्यादा ओर मख़मली लगती हो...

हसती-हसती तुम चलती हो ऐसे,
जंगल में कोई हिरणी चलती हो जैसे,
ठहर ठहर के तुम कुछ केहती हो ऐसे,
कोई सुरीली बीणा बजती हो जैसे,
तुम्हे जितनी बार देखे, तुम पेहले से ज्यादा ओर गुलाबी लगती हो...

काला हो,लाल हो चाहे नीला हो या हरा,
पर तुझपे तो जचता है हर रंग सुनेहरा,
कोई भी ग़ज़ल हो या हो शेरो-शायरी,
तेरे रूप के आगे तो कुछ भी ना ठेहरा,
तुम्हे जितनी बार देखे, तुम पेहले से ज्यादा ओर दिलनशीं लगती हो... 

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