हमने देखी नहीं कोई परी या अप्सरा,
पर सोचता हूँ की वो हूबहू तेरे जैसी ही होगी,
हमने देखी नहीं कोई बहारों की मलिका,
पर सोचता हूँ की वो हूबहू तेरे जैसी ही होगी...
मोरनी की लचक है तुम्हारी चाल में,
दो जवाँ मस्त डिम्पल है तुम्हारे गाल में,
क्या कहें हम उस अदा का ऐ गुलबदन,
जब दांतों में दबा के बक्कल तुम डालती हो बाल में,
हमने देखी नहीं कोई रानी या रुखसाना,
पर सोचता हूँ की वो हूबहू तेरे जैसी ही होगी...
भवाये उठाके जब तुम बातें करती हो,
लब्ज़ नहीं है तुम कितनी हसीन लगती हो,
कोई भी बाग़ या मेहफ़िल से तुम गुजरती हो,
बस अपने ही रंगो से उसे रंग देती हो,
हमने देखी नहीं कोई रूबी या मलाइका,
पर सोचता हूँ की वो हूबहू तेरे जैसी ही होगी...
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