सुंदर सा मुखड़ा है, चाँद का टुकड़ा है,
हर कोई ये सोचे है, ये हुर कहाँ से उतरा है...
वो तो शयानी है,सबसे सुहानी है, फूलों की रानी है,
किरणों की ज्योति है, रूप की शहज़ादी है,
हर गली में चर्चा है, ये हुर कहाँ से उतरा है...
एक बार देखे जो कोई उसको वो देखता ही रह जाये,
उसकी तारीफ़ में क्या कहे बस दांतों तले ऊँगली दब जाये,
वक़्त भी वहां ठेहरा है, उसका जहाँ पेहरा है,
सुंदर सा मुखड़ा है, चाँद का टुकड़ा है,
हर कोई ये सोचे है, ये हुर कहाँ से उतरा है...
वाह ! बहुत खूब।
ReplyDeleteवाह ! बहुत खूब।
ReplyDeleteThanks..
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