कश्मीर के गुलाबो से खिला हुआ खुशनुमा बाग़ हो तुम,
पूनम की रात में निकला हुआ हसीन चाँद हो तुम,
लब्ज़ कम पड़ जाते है लिखने को तुम्हारी तारीफ में,
खूबसूरती को रोशन करनेवाला जलता चराग हो तुम।
लाल संगे मर-मर से लिपटा हुआ खूब-सुरत ताज हो तुम,
चांदनी में चमकता हुआ आँखों का ख्वाब हो तुम,
झुल्फे को बिखराई है बाजु ओ पर तुमने ऐसी अदा से,
मर जाये जिन्दा यूँ ही हम तो ऐसा क़ातिल वार हो तुम।
कानो में लटकती हुई बालिया, जैसे नाजुक रेशमी डाल हो तुम,
लग रही हो ऐसे जैसे कुदरत का बेशकीमती कमाल हो तुम,
क्या करे हटती नहीं नजर अब तुम्हारी तस्वीर से एक पल भी,
जमीन पे आया हुआ रब का कोई सुन्दर वरदान हो तुम।
होठों पे लगाई हुई लाली देखे जैसे रंगो में सिमटी हुई शाम हो तुम,
आँखों में छुपाया हुआ काली घटाओ का जादू जैसे एक नशीला जाम हो तुम,
मुस्कुराये तो लगे ऐसे के जैसे बिखर रहे हो मोती,
हर एक बात है अलग तुम्हारी,आसमान से उतरा हुआ कोई जादुई श्रृंगार हो तुम।
पूनम की रात में निकला हुआ हसीन चाँद हो तुम,
लब्ज़ कम पड़ जाते है लिखने को तुम्हारी तारीफ में,
खूबसूरती को रोशन करनेवाला जलता चराग हो तुम।
लाल संगे मर-मर से लिपटा हुआ खूब-सुरत ताज हो तुम,
चांदनी में चमकता हुआ आँखों का ख्वाब हो तुम,
झुल्फे को बिखराई है बाजु ओ पर तुमने ऐसी अदा से,
मर जाये जिन्दा यूँ ही हम तो ऐसा क़ातिल वार हो तुम।
कानो में लटकती हुई बालिया, जैसे नाजुक रेशमी डाल हो तुम,
लग रही हो ऐसे जैसे कुदरत का बेशकीमती कमाल हो तुम,
क्या करे हटती नहीं नजर अब तुम्हारी तस्वीर से एक पल भी,
जमीन पे आया हुआ रब का कोई सुन्दर वरदान हो तुम।
होठों पे लगाई हुई लाली देखे जैसे रंगो में सिमटी हुई शाम हो तुम,
आँखों में छुपाया हुआ काली घटाओ का जादू जैसे एक नशीला जाम हो तुम,
मुस्कुराये तो लगे ऐसे के जैसे बिखर रहे हो मोती,
हर एक बात है अलग तुम्हारी,आसमान से उतरा हुआ कोई जादुई श्रृंगार हो तुम।
No comments:
Post a Comment