अपने आप को तुम मेरी नज़र से देखो,
तुम क्या हो ये तुम मेरी नज़र से देखो ...
रात का साया है तेरी झुल्फो में,
चांदनी की माया है तेरी अँखियों में,
तेरी मुस्कुराहट को तुम मेरी नज़र से देखो,
मेरे हालात क्या है ये तुम मेरी नज़र से देखो ...
शरमाके जब तू फूल के पत्तो सी सिमट जाती है,
तुमको खबर नहीं दिल पे क्या बन आती है,
तेरी हर आह को तुम मेरी नज़र से देखो,
धड़कनो की चाह क्या है ये तुम मेरी नज़र से देखो ...
लब्ज़ बनके बिखरी है तू मेरे गीतों में,
गुलाब की कलियाँ है तेरे इन होठों में,
तेरी ख़ामोशी को तुम मेरी नज़र से देखो,
बेकरारी क्या है ये तुम मेरी नज़र से देखो ...
जब तुम केहते केहते चुप हो जाती हो,
चाँद सी झलक दिखाके छुप जाती हो,
तेरी अदाओ को तुम मेरी नज़र से देखो,
इनका असर क्या है ये तुम मेरी नज़र से देखो ...
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