Saturday, January 16, 2016

तुम हमे इतना तो याद ना आओ ....




सुबहा की किरणे देखू तो तेरी आँखे याद आती है,
शाम की रंगत देखू तो तेरी लाली याद आती है,

कभी तू बादलो में छुप जाती है,
तो कभी फूलो से तेरी खुशबु आती है,

कभी दिन के उजालो में तो कभी रातो की ज्योतिमें,
कभी मन के खयालो में तो कभी आसमा के मोती में,
जहा देखू वहा बस तू ही नज़र आती है,
हवा के हर झोंके से तू छूकर जाती है,
एहसास होता है दिल में की तू कही आस-पास ही है,
बस यही एहसास से धड़कन धड़कती जाती है,

दर्पण खाली खाली सा लगता है,
हर बात में मन तनहा-तनहा सा लगता है,
आग सी उठती है जैसे रग-रग में,
मन मचल उठता है मिलने की अगन में,
बस बैचेन हो जाते है,
तुम्हारे इंतज़ार में बावरे हो जाते है,
कही दिल नहीं लगता , कुछ कर नहीं पाते है,
तुम्हारे प्यार में इस कदर हम पागल हो जाते है,

तू क्यूँ हमे इतना सताती है,
तेरी यादो से हमारी ज़िन्दगी तड़प जाती है,
हर सांस सिसक सिसक कर तुम्हे ही बुलाती है,
हर लम्हा हर पल बस ये यही कहे जाती है,
आ जाओ ....... आ जाओ......,
तुम हमे इतना तो याद ना आओ,
तुम हमे इतना तो याद ना आओ ....

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