Sunday, January 31, 2016

किस तरह अनजाना कोई अपना हो जाता है एक ही हंसी में..

किस तरह होता है प्यार जिंदगी में, किस तरह खोता है दिल दिलकी लगी में,
किस तरह अनजाना कोई अपना हो जाता है एक ही हंसी में..



पहले भी मिलते थे उनसे पर ना ऐसा कुछ था,
क्युं ऐसा दिलको मेहसूस न था,
आज आँखे देखती है उनको कुछ और नजर से,
वोह मेरी तलाश है ऐसा मुझे मालूम न था,

किस तरह हो जाता है एतबार किसी पे,जिसको न मिले हो हम कभी भी कही पे,
किस तरह अनजाना कोई अपना हो जाता है एक ही हंसी में..

ख्वाब तो आते थे पर उसमे एक चेहरा न था,
हर पल मेरे मन पे किसीका पेहरा  न था,
मेरे खयालो का दर्पण इतना सुनेहरा न था,
अभी तो लगता है जैसे अब तक जीवन पूरा न था,

किस तरह हो जाता है इकरार ख़ामोशी में,जैसे दिल सब समजता है तन्हाई और मेहफिल में,
किस तरह अनजाना कोई अपना हो जाता है एक ही हंसी में..

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