Sunday, January 3, 2016

पेहली बार उनसे है मुलाक़ात हमारी




जिंदगी से  होगी आज बात हमारी, पेहली बार उनसे है मुलाक़ात हमारी,
चाँद की चांदनी आज कुछ और है, पेहले  ना थी इतनी हसीं रात हमारी...

पिगल जाये हुश्न उसका मेरी बाहों में, बिखर जाए वो मेरे दिल की राहो में ,
उसकी झुल्फो को मैं सवारता रहू हाथों से , खो जाऊ उसकी दो झील सी आँखों में,
तमन्ना ऐसी कई है दिल में हमारी, कहेंगे आज उनसे जब वो होगी साथ हमारी,
जिंदगी से  होगी आज बात हमारी, पेहली बार उनसे है मुलाक़ात हमारी।

पेहले तो ये कलियाँ मुझको बेहलाती ना थी ,इस तरह मैं दर्पण से कभी शरमाती ना थी,
ठंडी हवां के झोंको से मैं सिमट जाती ना थी, किसी घडी का इंतज़ार करते तड़प जाती ना थी,
उनसे मिलते ही हर मंजिल करीब हो जायेगी , पूरी हो जायेगी आज हर तलाश हमारी,
जिंदगी से  होगी आज बात हमारी, पेहली बार उनसे है मुलाक़ात हमारी।

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